सावन में मास शिवरात्रि के दिन करें शिव-शक्ति का पूजन, जीवन में कभी नहीं होगा अभाव

admin
3 Min Read

प्रकृति का चमत्कार सावन माह में देखने को मिलता है, जब आकाश से जल गिरता है और बंजर भूमि भी जीवन्त होकर हरियाली का सृजन करती है। एक वर्ष में ग्यारह रुद्रों के लिए ग्यारह मास शिवरात्रि और महादेव के लिए महाशिवरात्रि मनाने की वैदिक परम्परा है। जिस प्रकार फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, उसी प्रकार सावन माह में मास शिवरात्रि अमोघ फलदायी है।

पर्व-त्योहारों की गणना चन्द्रमा की कला एवं तिथियों के अनुसार की जाती है। किसी भी कार्य की शुभता, मुहूर्त, व्रत-पर्वों के निर्धारण सहित देवी-देवताओं की विशेष आराधना में तिथि स्वामी का विशेष महत्व होता है। जिस तिथि का जो स्वामी होता है, उस तिथि में उनका अर्चन, पूजन, वन्दन करना सर्वोत्तम होता है। चौदहवीं तिथि के स्वामी शिव होने के कारण प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चौदहवीं तिथि को रूद्र शिव का पूजन अमोघ फल प्रदान करता है। ईशान संहिता के अनुसार प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानि अमावस्या के एक दिन पूर्व मास शिवरात्रि आती है।

सावन की मास शिवरात्रि पर रुद्राभिषेक विशेष फलदायी – जब किसी व्यक्ति का मन बेचैन हो, निराशा से भरा हो, परिवार में कलह हो रहा हो, अनचाहे दुःख और कष्ट मिल रहे हो, व्यवसाय में घाटा हो रहा हो, तब सावन की मास शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध, गंगाजल, शहद, गन्ने का रस आदि से रुद्राभिषेक करना चाहिए। मास शिवरात्रि के दिन किए गए दान पुण्य, शिवलिंग की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है। रूद्राक्ष धारण करने का सर्वश्रेष्ठ माह सावन है, मास शिवरात्रि के दिन रूद्राक्ष धारण करना अथवा रूद्राक्ष की माला से शिव मंत्रों का जप करने से अवसाद आदि मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।

मास शिवरात्रि विशेष उपाय – सावन मास शिवरात्रि को शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाऐं तथा तामसिक भोजन का त्याग करें और जन्मकुण्डली के अनुसार जो ग्रह आपके पक्ष में कार्य कर रहा हो अर्थात् आपकी मदद कर रहा हो उस ग्रह का रत्न धारण कर उसे बलवान करें ताकि रोग, शोक आपके घर-परिवार से दूर रहें। सावन माह में मास शिवरात्रि पर विधि पूर्वक शिव-पार्वती पूजन हर कामना को पूर्ण करता है, इस दिन व्रत रखने से स्वास्थ्य सुख के साथ घर में शांति एवं समृद्धि आती है।

Share this Article
Leave a comment