बहराइच (deshabhi.com)। हरदी क्षेत्र में सोमवार रात मां के साथ सो रही अफसाना (5) को भेड़िया ने निवाला बनाने का प्रयास किया। बालिका की चीख सुनकर उठे परिजनों को देख भेड़िया भाग निकला। भेड़ियों ने बीते 48 घंटे के भीतर छह लोगों पर हमला किया। लगातार हो रहे हमलों से स्थानीय लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। शनिवार रात करीब 12 बजे भेड़ियों ने नकाही निवासी पारस (7) पर और रविवार सुबह चार बजे मैकूपुरवा दरैहिया निवासी कुन्नू (55) पर हमला किया था। वहीं, रविवार रात नव्वन गरेठी निवासी अंजली (5) को मार डाला। कोटिया निवासी कमला (60) व सुमन (55) को गंभीर रूप से घायल किया। सोमवार रात अफसाना (5) को गंभीर रूप से घायल कर दिया। भेड़िये के बढ़े हमले से स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। स्थानीय निवासी उमेश व परमिंदर ने बताया कि वन विभाग सिर्फ दावे कर रहा है, लेकिन भेड़ियों पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा।
नव्वन गरेठी निवासी अंजली को रविवार रात मां नीलू के पास से भेड़िया उठा ले गया था। सोमवार को फिर भेड़िये ने गांव में दस्तक दी। ग्रामीणों ने बताया कि भेड़िया तीन बार गांव में देखा गया। उसकी घेराबंदी की गई, लेकिन वह भाग निकला।
जिंदा या मुर्दा पकड़ने के आदेश
बहराइच में ड्रोन कैमरे में दो खूंखार भेड़िए कैद हुए हैं, जिनके मुंह इंसानों का खून लग गया है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव संजय श्रीवास्तव ने इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने का आदेश जारी कर दिया है। इस समस्या से निपटने के लिए जहां वन विभाग ने चार-चार अलग-अलग तरह के कामों के करने के लिए टीमें गठित कर दी हैं, वहीं भविष्य के लिए भी कार्ययोजना तैयार करवाई जा रही है। ताकि, भविष्य में इस तरह की समस्या से न्यूनतम नुकसान के साथ निपटा जा सके। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, बहराइच में बच्चों पर हमला करने वाले छह भेड़ियों का समूह था, जिनमें से चार को पकड़ लिया गया है। दो भेड़िए अभी भी इधर-उधर दौड़ रहे हैं। ड्रोन कैमरे के जरिये इन्हें देखा भी जा चुका है। अब इनकी सटीक लोकेशन और जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए चार तरह के कामों में बांटकर टीमें लगा दी गई हैं। ऐसा बहराइच के कई इलाकों में किया गया है, ताकि भेड़ियों को शीघ्र से शीघ्र पकड़ा जा सके।
लोकेशन के लिए पेट्रोलिंग
प्रत्येक क्षेत्र में लगाई गई एक टीम भेड़ियों की लोकेशन पता करने के लिए पेट्रोलिंग करेगी। दूसरी टीम उन्हें बेहोश करने के लिए घेरे में लेगी। तीसरी टीम उन्हें पकड़ेगी और चौथी टीम पकड़ने के बाद उनके बारे में निर्णय लेगी। पीसीसीएफ, वाइल्डलाइफ संजय श्रीवास्तव ने बताया कि प्रयास है कि इन्हें बेहोश करके काबू पा लिया जाए। अगर यह संभव नहीं हुआ तो मारने की अनुमति भी दे दी गई है। बहराइच में लगाई गई टीमों का नेतृत्व अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीसी पाठक और मुख्य वन संरक्षक एवी गिरीश कर रहे हैं।
पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने लोगों से अपील की है कि वे खुले में न सोएं। रात में छत पर सोने से भी खतरे को टाला जा सकता है। उन्होंने बताया कि भेड़िए हर जिले में मौजूद हैं और इनकी कभी गणना नहीं की गई। लेकिन, आम तौर पर यह इंसानों पर हमला नहीं करते। अगर किसी झुंड के मुंह किसी भी कारण से इंसानों के मांस का स्वाद लग जाए तो वही बच्चों पर हमला करता है। इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि भेड़ियों की प्राकृतिक मांद में पानी वगैरह भर जाने से वे आबादी की ओर रुख कर लेते हैं।
डब्ल्यूआईआई की टीम पहुंची बहराइच
आदमखोर भेड़ियों का अध्ययन करने के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिकों की एक टीम बहराइच पहुंच गई है। इन भेड़ियों के हाईब्रिड यानी संकर प्रजाति के होने की प्रबल संभावना है। डीएनए टेस्ट के जरिये इसका ही पता डब्ल्यूआईआई के विशेषज्ञों की टीम लगाएगी।विशेषज्ञों के मुताबिक, भेड़िये और कुत्ते अंतरजन्य प्रजातियां मानी जाती हैं। यानी वे आपस में प्रजनन करके संतान पैदा कर सकते हैं। देखने में आया है कि इस तरह से पैदा होने वाले हाइब्रिड प्रजाति के भेड़िये ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं। इनमें आदमखोर होने की प्रवृत्ति भी पाई जाती है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने डब्ल्यूआईआई के वुल्फ एक्सपर्ट्स यानी भेड़ियों के विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम बुलाई है।यह टीम मंगलवार को दिन में यूपी वन विभाग के सीनियर अधिकारियों से मिली और उसके बाद बहराइच के लिए रवाना हो गई। यह टीम आदमखोर भेड़ियों का डीएनए सैंपल लेकर आगे की जांच करेगी। वन विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि इन भेड़ियों के हाईब्रिड प्रजाति के होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।