सावन माह में कब है शनि प्रदोष व्रत? इस दिन करें यह उपाय, मिलेगा चमत्कारी लाभ

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सावन के महीने में प्रदोष व्रत को बेहद ही खास और महत्वपूर्ण बताया जाता है. हिंदू धर्म में प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि को कहते हैं. शनिवार के दिन यह तिथि होने के कारण शनि प्रदोष का संयोग बनता है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार सावन के महीने में आने वाले शनि प्रदोष व्रत का साधकों के जीवन में बहुत अधिक प्रभाव पड़ता हैं. कहा जाता है की यदि इस दौरान भगवान शिव की आराधना की जाए तो भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होकर व्यक्ति को सुख समृद्धि, धन दौलत आदि सभी का आशीर्वाद देते हैं. कहा जाता है कि इस दिन भोले बाबा अपने भक्तों की सभी मुरादें पूरी करते हैं. भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा अर्चना करने से शनि देव जनित कष्टों से छुटकारा मिलता है और शनि देव की महादशा, साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव भी खत्म हो जाता है.

सावन के महीने में शनि प्रदोष व्रत 17 अगस्त शनिवार को होगा. शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करना बेहद ही लाभकारी होता है. वहीं भगवान शिव को इस दिन यदि गंगा जल में काले तिल मिलाकर अर्पित किए जाएं और शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए तो व्यक्ति को शनिदेव जनित कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. जिन जातकों पर शनि देव की महादशा, साढ़ेसाती या ढैया चल रही है उन्हें भी इससे छुटकारा मिल जाता है. शनि प्रदोष व्रत पर दान करने का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को काले नीले वस्त्र या खाद्य सामग्री दान करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है.

शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में होने वाला शनि प्रदोष व्रत बेहद लाभ प्रदान करने वाला हैं. जिन जातकों के ऊपर शनि देव का विपरीत प्रभाव होता है. उनके द्वारा भोलेनाथ की पूजा अर्चना, उनके मंत्रों का जाप आदि करने से उन्हें शनि देव की महादशा, साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव खत्म हो जाता है. सावन के महीने में पड़ने वाला शनि प्रदोष व्रत जातकों के लिए बेहद ही लाभकारी और संपूर्ण फल प्रदान करने वाला होगा.

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