कब है जया एकादशी : स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था इस व्रत का महत्व, जानें व्रत के नियम

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पंचांग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जया एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि की पूजा करने से अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इस एकादशी को बहुत ही खास बताया गया है। जो व्यक्ति सच्चे मन से इस दिन व्रत रखता है उसका जीवन दुखों और कष्टों से मुक्त हो जाता है। पुराणों के अनुसार देखा जाए तो इस व्रत से व्यक्ति को हर जगह विजय की प्राप्ति होती है। तो अगर भी पुण्य की प्राप्ति चाहते हैं तो सबसे पहले जानें इस व्रत की डेट।


जया एकादशी तिथि
पंचांग के मुताबिक एकादशी तिथि का आरंभ 19 फरवरी सुबह 08 बजकर 49 मिनट से होगा और 20 फरवरी को सुबह 09 बजकर 55 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा।

इसी के साथ आपको एक खास बात और बता दें कि इस दिन आयुष्मान योग के साथ, त्रिपुष्कर योग और प्रीति योग का भी निर्माण हो रहा है। इस वजह से जो भी सी दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करेगा उसको विशेष फल की प्राप्ति होगी और उनका घर धन-धान्य से भरा रहेगा।

पूजा मुहूर्त – सुबह 09.45 – दोपहर 2.00

जया एकादशी व्रत का महत्व
जया एकादशी का व्रत इसलिए खास माना जाता है क्योंकि इस व्रत के प्रभाव से पितृ पक्ष की दस पीढियां, मातृ पक्ष की दस पीढियां मोक्ष को प्राप्त होती है। इसी के साथ महाभारत के समय में श्री कृष्ण के स्वयं इस व्रत की महिमा युधिष्ठिर को बताई थी। इस दिन भगवान विष्णु के माधव रूप की पूजा की जाती है। जो व्यक्ति ये व्रत रखते है उसे हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। पद्म पुराण और भविष्योत्तर पुराण में भी इस व्रत के वर्णन मिलता है। जो व्यक्ति ये उपवास रखता है एक तो उसको अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है और दूसरा ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिलती है।

० एकादशी के दिन भूलकर भी चावल न खाएं।
० बेवजह किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा करने से बचें।
० इस दिन ज्यादा देर तक सोना भी शुभ नहीं माना जाता।
० एकादशी के दिन तुलसी को स्पर्श करना और तोड़ना दोनों वर्जित होता है।

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