इतिहास में आज 20 जुलाई : चंद्रमा की सतह पर पहली बार मनुष्य ने कदम रख रचा था इतिहास, शतरंज दिवस की शुरुआत

admin
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आज यानि 20 जुलाई का इतिहास बेहद रोचक है। चंद्रमा की सतह पर आज ही के दिन किसी इंसान ने पहला कदम रख, इतिहास रच दिया था। वहीं, अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस की शुरुआत भी आज ही दिन से हुई थी। वहीं, हिंदी सिनेमा के लोकप्रिय अभिनेता राजेंद्र कुमार का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था। महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त की पुण्यतिथि भी आज ही के दिन है। इसके अलावा भी कई मायनों में आज का दिन बेहद खास है।

चंद्रमा की सतह पर पहली बार मनुष्य ने कदम रख रचा था इतिहास
1969 में आज ही चंद्रमा की सतह पर पहली बार मनुष्य के कदम पड़े थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यान अपोलो-11 चार दिन की उड़ान पूरी करने के बाद चांद पर लैंड हुआ था। अंतरिक्षयात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्डिन उसमें सवार थे। दोनों अंतरिक्षयात्री चांद पर 21 घंटे से ज्यादा समय तक रहे थे।

यूनेस्को के सुझाव से हुई अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस की शुरुआत
यूनेस्को के सुझाव पर 1966 में आज ही अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। इसका आयोजन इंटरनेशनल चेस फेडरेशन द्वारा किया जाता है। फेडरेशन की स्थापना 1924 में हुई थी और इस समय दुनियाभर के 181 चेस संगठन इसके सदस्य हैं।

जन्मतिथि

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (1950)
सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज आर भानुमति (1955)
अभिनेता सुदेश बेरी (1960)
अभिनेत्री ग्रेसी सिंह (1980)
पर्वतारोही अरुणिमा सिंह (1988)
भाजपा नेता हार्दिक पटेल (1993)
जयंतीअभिनेता राजेंद्र कुमार (1929)


पुण्यतिथि

दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित (2019)
क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त (1965)
गायिका गीता दत्त (1972)
गांधी जी की सहायिका मीरा बेन (1982)


जुबली कुमार के नाम से जाने जाते थे अभिनेता राजेंद्र कुमार
लोकप्रिय अभिनेता राजेंद्र कुमार का जन्म 1929 में आज ही अविभाजित भारत के सियालकोट में (अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में) हुआ था। उन्होंने 1949 में फिल्म पतंगा और 1950 में जोगन में छोटी भूमिकाओं से करियर की शुरुआत की थी। 1957 में आई मशहूर फिल्म मदर इंडिया से उन्हें खास पहचान मिली। उनकी 1963 में आई फिल्म मेरे महबूब बेहद ही सफल रही और इसकी लोकप्रियता के बाद राजेंद्र कुमार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक दौर था जब उनकी ज्यादातर फिल्में लगातार 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में लगी रहती थीं। इसी सिल्वर जुबली के कारण उन्हें जुबली कुमार कहा जाने लगा था।

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