इतिहास के नजरिए से 22 जून की तारीख बेहद खास है. 22 जून साल 1939 को महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने ‘फारवर्ड ब्लाक’ की स्थापना की थी. यहां सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस के अंदर ही नेताजी को ऐसी संस्था बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? आइये विस्तार से जानते है. दरअसल 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के समय सुभाष चंद्र बोस चाहते थे कि कोई ऐसा व्यक्ति अध्यक्ष बने जो बिना किसी दबाव के किसी के आगे न झुके. जब और कोई सामने न आया तो सुभाष ने स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष बनने की इच्छा जताई. लेकिन गांधी जी उन्हें अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते थे और उन्होंने अध्यक्ष पद के लिये पट्टाभि सीतारमैया को चुना. अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग हुई इसमें सुभाष चंद्र बोस को 1580 मत और सीतारमैया को 1377 मत मिले।
इस तरह सुभाष चंद्र बोस 203 मतों से चुनाव जीत गए. त्रिपुरा में 1939 का वार्षिक कांग्रेस अधिवेशन हुआ. अधिवेशन में न गांधी जी उपस्थित थे और न ही उनके साथी. ये सब देखते हुए सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस के अन्दर ही फॉरवर्ड ब्लॉक के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की. कुछ दिन बाद सुभाष को कांग्रेस से ही निकाल दिया गया. बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक अपने आप एक स्वतंत्र पार्टी बन गई. तब से 22 जून को फॉर्वर्ड ब्लॉक का स्थापना दिवस कहा जाता है.
इतिहास के दूसरे अंश में बात क्रांतिकारी चापेकर बंधुओं की होगी. तारीख थी 22 जून, 1897 की मध्य रात्रि को अंग्रेजों द्वारा अधिकृत पुणे के गवर्नमेंट हाउस में महारानी विक्टोरिया की जयंती का जश्न अभी समाप्त ही हुआ था कि हाल ही में पुणे की स्पेशल प्लेग कमेटी (SPC) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए वाल्टर चार्ल्स रैंड अपने तांगे पर सवार हो कर जा रहे थे. पीछे इनके सैन्य अनुरक्षक लेफ्टिनेंट आयेर्स्ट अपने तांगे में चल रहे थे. दोनों ब्रिटिश अफसर जश्न से लौट कर अपने क्वार्टर में आराम करने जा रहे थे. दामोदर, बालकृष्ण और वासुदेव चापेकर भाइयों ने हाथों में बंदूक और तलवार लिए अंधेरे में छुप कर इनका इंतज़ार कर रहे थे. जैसे ही तांगा वहाँ से गुज़रा चापेकर बंधुओं ने ब्रिटिश ऑफिसर्स पर गोली चला दी. जिसमे रैंड और आयेर्स्ट की मौत हो गई. बता दें रैंड वहीं अफसर था, जिसने पुणे के प्लेग पीड़ितों को राहत देने के बजाय उनका अपमान किया था. रैंड को गोली मारने के तुरंत बाद दामोदर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और मौत की सज़ा दी गई.
इतिहास के तीसरे और आखिरी अंश में बात भारतीय अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की करेंगे. 22 जून साल 2007 में आज ही के दिन सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष से वापस धरती पर लौटी थीं.
देश- दुनिया में 22 जून का इतिहास
1555: सम्राट हुमायूं ने अपने बेटे अकबर को अपने वारिस के रूप में घोषित किया.
1870: अमेरिकी कांग्रेस ने संयुक्त राज्य अमेरिकी न्याय विभाग की स्थापना की.
1906: स्वीडन ने राष्ट्रीय ध्वज अपनाया.
1941: द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने सोवियत रूस पर आक्रमण किया.
1946: इंग्लैंड और भारत के बीच लंदन के लॉडर्स क्रिकेट मैदान में पहला क्रिकेट टेस्ट मैच शुरू हुआ.
1957: तत्कालीन सोवियत रूस ने पहली बार आर-12 मिसाइल का प्रक्षेपण किया.
2006: अमेरिका ने मिसाइल रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण किया.
2007: सुनीता विलियम्स अपनी टीम के साथ धरती पर लौटीं.
2009: 21वीं सदी का सबसे लंबा सूर्यग्रहण भारत में दिखाई दिया.
2016: इसरो ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास, लॉन्च किए 20 उपग्रह.