उत्तरकाशी के सहस्त्र ताल ट्रैक पर हुए हादसे की होगी मजिस्ट्रेट जांच ,4 और ट्रैकरों के मिले शव

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देहरादून (deshabhi.com)। उत्तराखंड सरकार ने बृहस्पतिवार को उत्तरकाशी जिले में उच्च हिमालयी क्षेत्र में सहस्त्रताल ट्रैक पर खराब मौसम के कारण ट्रैकरों के साथ हुए हादसे के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए जबकि घटनास्थल से कर्नाटक के चार और ट्रैकरों के शव निकाल लिए गए।

राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) ने यहां बताया कि उनकी बचाव टीम ने हेलीकॉप्टर के माध्यम से चारों शवों को उत्तरकाशी के निकट भटवाड़ी पहुंचाया। इसी के साथ सहस्र ताल ट्रैक पर बर्फीले तूफान का शिकार हुए सभी नौ ट्रैकरों के शव बाहर निकाल लिए गए हैं। इस के साथ ही पिछले दो दिनों से जारी बचाव अभियान समाप्त हो गया है। इससे पहले बुधवार को दल में शामिल 13 अन्य ट्रैकरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सहस्रताल ट्रैक पर खराब मौसम के कारण घटित हुए हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा इस संबंध में जारी आदेश में गढ़वाल के आयुक्त विनय शंकर पाण्डेय को हादसे की निष्पक्ष जांच करने तथा इस संबंध में अपनी रिपोर्ट यथाशीघ्र उपलब्ध करवाने को कहा है। जिन चार लोगों के शव बृहस्पतिवार को निकाले गए, वे सभी बंगलुरू के निवासी थे और उनकी पहचान वेंकटेश प्रसाद (53), पदनाथ कुंडापुर कृष्णामूर्ति (50), अनीता रंगप्पा (60) और पद्मिनी हेगड़े (34) के रूप में हुई है। मल्ला-सिल्ला-कुशकल्याण-सहस्त्रताल पर ट्रैकिंग पर गया कर्नाटक और महाराष्ट्र के ट्रैकर का 22 सदस्यीय दल तीन जून को अचानक आए बर्फीले तूफान की चपेट में आने के कारण रास्ता भटक गया था और अत्यधिक ठंड के कारण उसके नौ सदस्यों की मृत्यु हो गई। पांच शवों को बुधवार को बाहर निकाल लिया गया था, जिनमें चार शव महिलाओं के थे।

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि 4100-4400 मीटर की उंचाई पर स्थित ट्रैक पर दल के कुछ सदस्यों की मौत होने तथा अन्य के फंसे होने की सूचना चार जून की शाम को मिली, जिसके बाद जमीनी और हवाई बचाव अभियान की तैयारियां शुरू की गईं। इस ट्रैकिंग दल में 10 महिलाएं भी थीं। भारतीय वायु सेना, राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) और निजी हेलीकॉप्टर की मदद से जारी अभियान के तहत बुधवार को पांच शवों को बाहर निकाले जाने के अलावा 11 अन्य ट्रैकर को सुरक्षित नीचे पहुंचाया गया जबकि अन्य दो स्वयं पैदल चलते हुए एसडीआरएफ की टीम के साथ सिल्ला गांव पहुंचे। उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौसम खराब होने के कारण हवाई अभियान संचालित करने में परेशानियां आईं साथ ही 35 किलोमीटर लंबे इस दुरूह ट्रैक में जमीनी दलों को भी घटनास्थल तक पहुंचने में समय लगा।

उत्तरकाशी के मनेरी में ‘हिमालयन व्यू ट्रैकिंग एजेंसी’ ने इस दल को 29 मई को उत्तरकाशी से रवाना किया था, जिसमें कर्नाटक के 18 और महाराष्ट्र के एक ट्रैकर के अलावा तीन स्थानीय गाइड भी शामिल थे। इस ट्रैकिंग दल को सात जून तक वापस लौटना था लेकिन मौसम खराब होने से यह दल रास्ता भटक गया। संबंधित ट्रैकिंग एजेंसी द्वारा खोजबीन करने पर दल के कुछ सदस्यों की मृत्यु होने तथा अन्य के फंसे होने का पता चला। सुरक्षित बचाए गए एक ट्रैकर ने उत्तराखंड सरकार का आभार प्रकट करते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें बचाने के लिए त्वरित कदम उठाए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने समय से एसडीआरएफ की टीम को भेजा, जिसने हमें बाहर निकाला। हमारा रहने और खाने का इंतजाम किया, जिसके लिए हम हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।”

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