अगस्‍त में लगी त्‍योहारों की झड़ी, जानें कब है हरियाली तीज, रक्षाबंधन और जन्‍माष्‍टमी, देखें अगस्‍त के व्रत त्‍योहार की पूरी लिस्‍ट

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अगस्‍त के महीने का आरंभ जहां सावन शिवरात्रि से होगा तो अंत वत्‍स द्वादशी के साथ होगा। रक्षाबंधन 19 अगस्‍त को मनाया जाएगा और जन्‍माष्‍टमी 26 व 27 अगस्‍त को मनाई जाएगी। चातुर्मास के सबसे प्रमुख त्‍योहार इस साल अगस्‍त के महीने में ही पड़ रहे हैं। इसी महीने में हरियाली तीज और पुत्रदा एकादशी भी है। रक्षाबंधन पर हर साल की तरह इस साल भी कुछ घंटों के लिए भद्रा का साया रहेगा। भद्रा के दौरान बहनें अपने भाई को राखी नहीं बांधती हैं। तो आइए जानते हैं विस्‍तार से कि इस महीने रक्षाबंधन और जन्‍माष्‍टमी के अलावा और कौन से प्रमुख त्‍योहार हैं। देखें अगस्‍त के व्रत त्‍योहारों की कंपलीट लिस्‍ट।


सावन शिवरात्रि, 2 अगस्‍त
सावन मास की शिवरात्रि का धार्मिक महत्‍व बहुत खास माना जाता है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। फाल्गुन मास की महाशिवरात्रि और सावन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना और उपवास करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही शनिदेव के दर्शन और शनि चालीसा का पाठ करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।

हरियाली अमावस्‍या, 4 अगस्‍त
सावन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या हरियाली अमावस्या कहलाती है। इस साल यह 4 अगस्‍त को है। इस दिन शंकर के साथ गौरी देवी का सानिध्‍य होता है और रुद्राभिषेक के लिए सबसे शुभ तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व श्राद्ध कर्म किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ हवन, जप तप व साधना करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और हर कष्ट दूर हो जाता है।


हरियाली तीज, 7 अगस्‍त
सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को स्वर्ण गौरी व्रत रखा जाता है। कहीं-कहीं इसे मधुश्रवा व्रत कहते हैं तो कहीं-कहीं महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए इस दिन हरियाली तीज का व्रत करती हैं। इस त्योहार को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हुए मनाया जाता है। नवविवाहित महिलाएं अपने मायके आकर यह पर्व मनाती हैं। इस दिन झूला झूलते हैं और सावन के गीत गाए जाते हैं। वहीं हरियाली तीज का व्रत महिलाएं सुख समृद्धि और पति व संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं।


नाग पंचमी, 9 अगस्‍त
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी 9 अगस्त दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। सावन मास भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है। इस मास में शिव के गण नाग देवता की पूजा की जाती है और नाग पंचमी का त्‍योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी पर मुख्य रूप से आठ नाग देवताओं की पूजा की जाती है और वे हैं वासुकि, ऐरावत, मणिभद्र, कालिया, धनंजय, तक्षक, कर्कोटकस्य और धृतराष्ट्र। इनकी पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सर्प भय से मुक्ति मिलती है।

पुत्रदा एकादशी, 15 अगस्‍त
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह में पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर होगी और इसका समापन 16 अगस्त को सुबह 9 बजकर 39 पर होगा। उदयातिथि को देखते हुए इस साल पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त, 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। साथ ही इस दिन व्रत करने से आपको संतान की प्राप्ति होती है।

श्रावण पूर्णिमा, रक्षाबंधन 19 अगस्‍त
हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को राखी बांधी जाती है। इस बार 19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा। इस दिन भद्रा काल भी है। भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर पवित्र रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी आरती उतारती हैं। भाई अपनी बहन की हर मुश्किल में रक्षा करने का वचन देते हैं। पूर्णिमा तिथि में ही राखी बांधनी चाहिए।

कज्‍जली तीज, 21 अगस्‍त
कजली तीज इस साल 21 अगस्‍त को मनाई जाएगी। भाद्रमास के कृष्‍ण पक्ष की तृतीया का पर महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं और सज संवरकर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करती हैं। मान्‍यता के अनुसार सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए य‍ह व्रत रखा था।

बहुला चतुर्थी, 22 अगस्‍त
हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 22 अगस्‍त को है। इस तिथि का संबंध भगवान गणेश के जन्म से है इसलिए इस दिन विधि पूर्वक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

हल छठ, ललही छठ, 24 अगस्‍त
हल षष्टी, ललही छठ पूजा व चन्द्र षष्टी 24 अगस्त को मनायी जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसमें हल और मूसल की पूजा की जाती है। इसलिए इसे ‘हल षष्ठी’ भी कहा जाने लगा। यह व्रत मांएं पुत्र के अच्छे स्वास्थ, दीर्घायु और संपन्नता की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन हल से जोती गई चीजों को खाने की मनाही होती हैं।

जन्‍माष्‍टमी, 26 अगस्‍त और 27 अगस्‍त
हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसको जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। गृहस्थ जीवन व्यतीत करने वाले अर्थात स्मार्त 26 अगस्‍त को जन्‍माष्‍टमी मनाएंगे और साधु संत यानी कि वैष्‍णव समाज के लोग 27 अगस्‍त को जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन व्रत और विधि-पूर्वक पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।

अजा एकादशी, 29 अगस्त
अजा एकादशी का व्रत भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत 29 अगस्‍त को है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और धन धान्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यताएं हैं कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

वत्‍स द्वादशी, 30 अगस्‍त
भाद्रपद मास के कृष्‍ण पक्ष की द्वादशी को वत्‍स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल वत्‍स द्वादशी 30 अगस्‍त को है। इस दिन महिलाएं पुत्र सुख की कामना के लिए व्रत करती हैं और संतान की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।

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