6 जून को सबके दुख हरेंगे शनि देव! ज्येष्ठ अमावस्या का दिन है बेहद खास, जानें शनि जयंती मुहूर्त, पूजा विधि

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कर्मफलदाता और न्याय के देवता जैसे उपनामों से पुकारे जाने वाले शनि देव का जन्म हिंदू कैलेंडर के तीसरे माह ज्येष्ठ की अमावस्या तिथि को हुआ था. इस वजह से ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद खास होता है. इस दिन नदी में स्नान करने के बाद पितरों के लिए तर्पण, दान आदि करते हैं, इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. लेकिन ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करने से साढ़ेसाती, ढैय्या, शनि की महादशा और शनि दोष से मिलने वाली पीड़ा एवं दुष्प्रभाव कम खत्म होने लगते हैं. इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को पड़ रही है. 6 जून को शनि देव अपने भक्तों के कष्ट हरेंगे. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि कब से कब तक है? शनि जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

इस साल किस दिन है शनि जयंती?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, शनि जयंती के लिए जरूरी ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि 5 जून को 07:54 पीएम से लेकर 6 जून करे 06:07 पीएम तक रहेगी. व्रत, पूजा पाठ के लिए उदयातिथि की मान्यता होने के कारण ज्येष्ठ अमावस्या 6 जून को होगी. ऐसे में शनि जयंती 6 जून गुरुवार के दिन मनाई जाएगी. उस दिन शनि देव का जन्मोत्सव होगा.

शनि जयंती पूजा का मुहूर्त
इस साल शनि जयंती पर शुभ-उत्तम मुहूर्त 05:23 ए एम से 07:07 ए एम तक है. चर – सामान्य मुहूर्त 10:36 ए एम से 12:20 पी एम तक और लाभ-उन्नति मुहूर्त 12:20 पी एम से 02:04 पी एम तक है. अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 02:04 पी एम से 03:49 पी एम तक है. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त 11:52 ए एम से 12:48 पी एम तक है. ब्रह्म मुहूर्त 04:02 ए एम से 04:42 ए एम तक है. ब्रह्म मुहूर्त का स्नान और दान अच्छा माना जाता है.

शनि जयंती 2024 पूजा विधि
शनि जयंती के दिन आप सुबह में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. उसके बाद शनि जयंती के लिए व्रत और पूजा का संकल्प करें. इस दिन आप चाहें तो नीले या काले रंग के कपड़े पहन सकते हैं. उसके बाद शुभ समय में शनि देव के मंदिर जाएं. वहां पर शनि महाराज की पूजा विधि विधान से करें. एक बात का ध्यान रखें ​कि आप शनि देव के आंखों को न देखें. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि शनि की दृष्टि से सभी बचना चाहते हैं.

सबसे पहले शनि देव को काले या नीले वस्त्र, शमी के फूल-पत्ते, नीले रंग के फूल, काला तिल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि अर्पित करें. शनि महाराज के लिए तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. उसके बाद आसन पर बैठकर शनि चालीसा का पाठ करें. शनि देव की जन्म कथा पढ़ सकते हैं. फिर शनि देव की आरती करें. पूजा के बाद शनि देव से कष्टों से मुक्ति के लिए प्रार्थना कर लें.

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