दिल्ली (deshabhi.com)। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि राहुल गांधी वायनाड से इस्तीफा देंगे। रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। उन्होंने बताया कि वायनाड से प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ेंगी। खरगे ने प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए कहा कि लड़की हैं लड़ सकती हैं। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वायनाड से मुझे बहुत प्यार मिला है। उन्होंने रायबरेली और वायनाड का विशेष तौर पर धन्यवाद किया। राहुल ने कहा कि समय-समय पर वायनाड जाता रहूंगा। रायबरेली से पुराना रिश्ता है। दोंनो जगह इमोशनल कनेक्शन है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ”राहुल गांधी दो लोकसभा सीटों से जीते हैं, लेकिन कानून के अनुसार उन्हें एक सीट छोड़नी होगी। राहुल गांधी रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे और हमने फैसला किया है कि प्रियंका जी वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। ” चर्चा के दौरान कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल और प्रियंका गांधी वाद्रा भी उपस्थित थीं। वहीं, इस फैसले के बाद प्रियंका गांधी ने वायनाड के लोगों को राहुल की कमी महसूस नहीं होने देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ” मैं वायनाड को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी। मैं कड़ी मेहनत करूंगी, वायनाड में सभी को खुश करने की पूरी कोशिश करूंगी, एक अच्छी प्रतिनिधि बनूंगी।”
बता दें कि राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में दो जगहों से चुनाव लड़ा। राहुल गांधी पहली बार 2019 में वायनाड से चुनाव लड़े और संसद पहुंचे। 2024 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के चुनाव लड़ने के बाद राहुल गांधी ने रायबरेली से पर्चा दाखिल किया और 390030 लाख मतो से जीते। वहीं, वायनाड से भी इस चुनाव में एक बार फिर 364422 वोटों से जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और पिछली बार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करते हुए 6 सीटें अपनी खाते में डालीं। कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को हराकर सबको चौंका दिया।
रायबरेली गांधी परिवार का गढ़
गौरतलब है कि रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का परंपरागत गढ़ माना जाता है। प्रियंका गांधी से लेकर राहुल गांधी तक रायबरेली के साथ गांधी परिवार का 103 साल पुराना सियासी नाता बता रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हुए तो रायबरेली से इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी चुनाव लड़े और जीतकर सांसद बने थे, उसके बाद से इंदिरा गांधी ने अपनी कर्मभूमि बनाई। 1967 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने यहां से जीत हासिल की। इसके बाद 1971 के चुनावों में भी इंदिरा गांधी यहां से जीतीं, लेकिन 1977 में हार गईं। हालांकि, 1980 में फिर से जीतने में कामयाब रहीं, लेकिन उन्होंने सीट छोड़ दी। 2004 में 44 साल के बाद सोनिया गांधी ने रायबरेली को अपना राजनीतिक क्षेत्र बनाया और अब राहुल गांधी को सौंप दिया है।