NEET-UG: केंद्र का दावा- पेपर लीक मामले पर टेलीग्राम वीडियो फर्जी, बड़ी गड़बड़ी नहीं; अगले हफ्ते से काउंसलिंग

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दिल्ली (deshabhi.com)। राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल इंट्रेंस परीक्षा- नीट यूजी 2024 लगातार चर्चा में है। परीक्षा के बाद पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में भी हो रही है। ताजा घटनाक्रम में परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्था- राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) ने सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया है। एनटीए ने पेपर लीक से जुड़ी टेलीग्राम की कथित वीडियो को फर्जी करार दिया है। एनटीए का दावा है कि पेपर लीक का बताकर जो वीडियो और फोटो प्रसारित किया जा रहा है, इनके साथ छेड़छाड़ की गई है।

अभ्यर्थियों को मिले नंबर पर एनटीए ने कही अहम बात
सुप्रीम कोर्ट में दायर NTA के हलफनामे में कहा गया कि एनटीए ने राष्ट्रीय, राज्य और शहर स्तर और केंद्र स्तर पर NEET-UG 2024 में शामिल हुए अभ्यर्थियों के अंकों के वितरण का विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि अंकों का वितरण काफी सामान्य है। एनटीए के मुताबिक ऐसा कोई बाहरी कारक उनके सामने नहीं आया है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि इससे अभ्यर्थियों को मिलने वाले अंकों पर असर पड़ेगा।

चार चरणों में काउंसलिंग, नतीजों का कराया डाटा परीक्षण
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि नीट यूजी-2024 में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी नहीं हुई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने दो वर्ष के परीक्षा परिणाम के डाटा के वैज्ञानिक परीक्षण के लिए आईआईटी मद्रास से मदद मांगी थी। इसी आधार पर शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर किया गया है। केंद्र ने कहा, आईआईटी मद्रास ने साल 2023 व 2024 के शहरवार डाटा में शीर्ष 1.4 लाख रैंक वालों को शामिल किया। परीक्षण यह बताने के लिए पर्याप्त था कि क्या किसी शहर या परीक्षा केंद्र के अभ्यर्थी को गड़बड़ी का लाभ मिला। हालांकि परीक्षण ने साबित किया कि ऐसा नहीं हुआ। किसी खास शहर या केंद्र में बड़े पैमाने पर बच्चों को असाधारण अंक नहीं मिले हैं। यह जरूर सामने आया कि छात्रों के अंकों में उछाल आया है। यह रेंज 550 से 720 के बीच है। लेकिन, इसके लिए पाठ्यक्रम में 25 फीसदी की कटौती को श्रेय दिया जा सकता है। है। साथ ही, उच्च अंक पाने वाले छात्र विभिन्न शहरों और केंद्रों में फैले हैं। इसके साफ संकेत हैं कि उच्च अंक मिलने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।

शीर्ष कोर्ट के 8 जुलाई को एनटीए से यह पूछे जाने पर कि क्या एजेंसी या सरकार पेपर लीक से लाभ उठाने वाले अन्य अभ्यर्थियों का पता लगाने का प्रयास कर रही है? क्या इसके कारण काउंसलिंग पर कोई फैसला किया है, केंद्र ने कहा, काउंसलिंग की प्रक्रिया चार चरणों में जुलाई के तीसरे सप्ताह से शुरू होगी। इस दौरान भी किसी अभ्यर्थी के पेपर लीक या गड़बड़ी में शामिल होने की पुष्टि होती है, तो उसे बाहर किया जा सकता है।

ऐसे बाहर किए गए उम्मीदवार की सीट अगले चरण में दूसरे उम्मीदवार को दी जाएगी। केंद्र ने यह भी साफ किया कि जिन उम्मीदवारों को पहले के चरणों में सीट मिल चुकी होगी उन्हें अगले चरण में शामिल नहीं किया जाएगा।
केंद्र ने कोर्ट को भविष्य की परीक्षाओं की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए सुझाव देने के लिए डॉ. के राधाकृषणन की अध्यक्षता में गठित समिति की भी जानकारी दी।

परीक्षा में धांधली चिंताजनक, पेपर लीक होने की बात साफ
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में आठ जुलाई को इस मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, ‘एक बात तो साफ है कि प्रश्न-पत्र लीक हुआ है। सवाल यह है कि इसकी पहुंच कितनी व्यापक है? पेपर लीक होना एक स्वीकार्य तथ्य है। लीक की प्रकृति कुछ ऐसी है, जिसका हम पता लगा रहे हैं। आप केवल इसलिए पूरी परीक्षा रद्द नहीं कर सकते, क्योंकि दो छात्र धांधली में शामिल थे। इसलिए हमें लीक की प्रकृति के बारे में सावधान रहना चाहिए।

केंद्र सरकार और एनटीए से कोर्ट ने पूछा तीखा सवाल
शीर्ष अदालत ने साफ किया कि दोबारा परीक्षा का आदेश देने से पहले हमें लीक की सीमा के बारे में जानना होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हम 23 लाख छात्रों के मामले को सुन रहे हैं।’ अदालत ने एनटीए के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी सवाल किया था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि इस गड़बड़ी से किन-किन छात्रों को फायदा पहुंचा? यह जानने के लिए क्या कार्रवाई की गई।

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