आज यानी 9 अगस्त को पूरे देश में नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में नाग पंचमी एक विशेष त्योहार है. ये सावन शुक्ल पंचमी के दिन मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि कुंडली में काल सर्प दोष आदि भी इस दिन की गई पूजा से दूर किए जा सकते हैं. एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार, ‘नाग देवता की पूजा से सांपों के कारण होने वाले अनिष्ट का भय समाप्त होता है. साथ ही, जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु बार-बार अनिष्ट कर रहे हैं तो नाग देवता को मनाने से इस पर रोक लग जाएगी.’ नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा के साथ ही घर में रोटी न बनाने की भी मान्यता है. सालों से बड़े-बुजुर्ग ये बात कहते आ रहे हैं कि इस दिन घर में रोटी नहीं बनाई जाती. लेकिन आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? क्यों नागपचंमी के दिन रोटी नहीं बनाई जाती है? आइए बताते हैं आपको इसके पीछे की धार्मिक वजह.
नाग पंचमी के दिन भगवान शिव और उनके गले में बैठे वासुना नाग की पूजा की जाती है. इस दिन नागों को दूध पिलाने की भी प्रथा है. लेकिन इस दिन घर में रोटी बनाने की मनाही होती है. दरअसल राहु ग्रह की शांति के लिए ही नागों की पूजा की जाती है. उस दिन विशेषकर लोहे का उपयोग नहीं करना चाहिए. यानी इस दिन लोहे के तवे का इस्तेमाल करना भी वर्जित माना जाता है. क्योंकि रोटी सिर्फ लोहे के तवे पर ही बनती है, इसलिए इस दिन रोटी न बनाने की मान्यता होती है. तवे (लोहा) को राहू का कारक माना जाता है. यदि इस दिन तवे का इस्तेमाल किया जाए तो राहू दोष लगने की संभावना या राहु खराब हो सकता है. आपको बता दें कि सिर्फ नाग पंचमी ही नहीं, हिंदू धर्म में कई अन्य त्याहारों जैसे मकर संक्रांति, शरद पूर्णिमा और दीवाली के दिन भी रोटी नहीं बनाई जाती है.
प्रदोष काल पूजा के लिए सबसे शुभ समय
प्रदोष काल में नाग देवता की पूजा करना सही रहता है. विशेष पूजा के लिए दोपहर 12:30 से 1:00 बजे तक का समय शुभ रहेगा. प्रदोष काल में पूजा नहीं कर पाएं तो किसी भी समय पूजा कर सकते हैं.
पानी है नागों की कृपा तो ये करें, ये न करें
– नागपंचमी के दिन जरूरतमंद लोगों को दान करना शुभ माना गया है.
– इस दिन सर्पों पूजा और को दूध से स्नान कराने से पुण्य मिलता है.
– घर के मेन गेट पर नाग चित्र या घर में मिट्टी से सर्प की मूर्ति बनाएं.
– नाग देवता को फूल, मिठाई और दूध अर्पित करें.
– नाग पंचमी के दिन सांपों को चोट न लगे इसलिए इस दिन न खेतों में जुताई करें न पेड़ काटे.