मंगला गौरी का व्रत हर साल सावन मास के मंगलवार के दिन रखा जाता है। ऐसे में सावन में आने वाले सभी मंगलवार का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं औक कुंवारी कन्या दोनों ही रखती हैं। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है। मंगला गौरी व्रत को बहुत ही शुभ फलदायी बताया गया है। आइए जानते हैं इस बार कितने मंगला गौरी व्रत होंगे साथ ही जानते हैं इस व्रत की क्या है तारीख।
मंगलागौरी व्रत कब से शुरू
मंगला गौरी व्रत की शुरुआत मंगलवार 23 जुलाई से होगी। पहला मंगलागौरी व्रत 23 जुलाई को रखा जाएगा। इस बार कुल 4 मंगला गौरी व्रत होंगे। इस दिन माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है। जबकि वहीं, कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं।
मंगला गौरी व्रत डेट
23 जुलाई पहला मंगला गौरी व्रत
30 जुलाई दूसरा मंगला गौरी व्रत
6 अगस्त तीसरा मंगला गौरी व्रत
13 अगस्त चौथा मंगला गौरी व्रत
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए रखती है। साथ ही घर परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इसके लिए भी यह व्रत रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से पति पत्नी के बीच के रिश्ते मधुर होते हैं। इसके अलावा संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है। यदि किसी कन्या के विवाह में बाधाएं आ रही है मांगलिक दोष है तो वह भी इस व्रत को रख सकते हैं।
मंगला गौरी व्रत विधि
0 मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लें।
0 इसके बाद भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और माता गौरी के सामने घी का दीपक जलाकर रखें।इसके बाद पति और पत्नी दोनों मिलकर भगवान शिव को पहले वस्त्र अर्पित करें इसके बाद माता गौरी को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
0 इस बात का ध्यान रखें की माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का पूरा सामान अर्पित करें। साथ में अक्षत, फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
0 अंत में धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। इसके बाद दोनों पति पत्नी माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा करें। अंत में मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ भी करें। शाम में आप फलाहार कर सकते हैं।