Last Sawan 2024 : शिव को प्रसन्न करने का एक और अवसर, सावन का अन्तिम सोमवार

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वैसे तो पूरे सावन के महीने भक्तों को शिव आराधना से नहीं चूकना चाहिए लेकिन अगर पूरे माह का पुण्य-प्रताप एक दिन की ही भक्ति-आराधना एवं उपासना से पाना हो, तो उसके लिए है, सावन का अन्तिम सोमवार। सात वारों में भगवान शिव को सोमवार सर्वाधिक प्रिय है, बारह माह में श्रावण मास अतिप्रिय है, सच्चे मन से आराधना करने वालों की सावन में मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण करते हैं आशुतोष भगवान शिव शंकर।

सर्वमनोकामना पूरक सावन का अन्तिम सोमवार

सावन का सोमवार कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है, विद्यार्थियों को सोमवार व्रत रखने से और शिव मंदिर में जलाभिषेक करने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है, सुहागिन स्त्रियों को इस दिन व्रत रखने से अखण्ड सौभाग्य प्राप्त होता है, कुंवारी कन्याओं को इस दिन व्रत रखने से मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है, बेरोजगारों को सावन के सोमवार व्रत-उपवास रखने से रोजगार तथा सदगृहस्थ नौकरी-पेशा या व्यापारी वर्ग को धन-धान्य और लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जिन्हें लौकिक वस्तुओं की अभिलाषा न हो, उन्हें यह व्रत शिव भक्ति एवं मोक्ष प्रदान करता है। जो व्यक्ति पूरे श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा-उपासना न कर पाया हो, उसे श्रावण के अन्तिम सोमवार को शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए। अन्तिम सोमवार को भगवान भोेले के चरणों में नतमस्तक हो उनकी आराधना अवश्य करनी चाहिए क्योंकि शिव दाता हैं, त्रिपुरारी हैं, शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाऐं पूर्ण करते हैं। देव, दानव, गंधर्व, किन्नर, व दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने भोले की उपासना करके अनेक सिद्धियाँ एवं लाभ अर्जित किए। महाबली रावण ने भी शिव की आराधना कर अनेक उच्चकोटि की सिद्धियां प्राप्त की थीं।

अन्तिम सावन सोमवार पूजन विधि – सावन सोमवार व्रत के निमित्त संकल्प करके प्रातःकाल स्नान-ध्यान उपरान्त मन्दिर, देवालय या घर पर श्रीगणेश जी की पूजा के साथ शिव-पार्वती, नन्दी, कार्तिकेय, सर्प देवता का पूजन करें, प्रसाद के रूप में गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जनेउ, चंदन, बेलपत्र, भांग, धतूरा, धूप-दीप और दक्षिणा के साथ ही नन्दी के लिए चारा या आटे की पिन्नी बनाकर भगवान का पूजन करें, रात्रिकाल में घी और कपूर सहित गूगल, धूप की आरती करके शिव महिमा का गुणगान करें, शिवाष्टक, शिव ताण्डव स्तोत्र, शिव महिम्नस्तोत्र, शिव चालीसा, शिव सहस्त्र नाम, शिव के मंत्रों का जाप, शिव पुराण आदि का पाठ अथवा श्रवण श्रद्धा भक्ति पूर्वक अवश्य करें।

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