कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 2024: पूजा के लिए जरूरी सामग्री देख लें, ताकि पूजा में कुछ न हो कमी

admin
3 Min Read

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस साल 26 अगस्त 2024 दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। गृहस्थ जीवन और वैष्णव संप्रदाय के लोग भी 26 अगस्त को धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे। जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है और दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल आदि का चरणामृत बनाकर मध्य रात्रि को अभिषेक किया जाता है। अगर आप भी कृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मना रहे हैं तो पूजा की कुछ जरूरी सामग्री को आज से ही इकट्ठा कर लें ताकि कान्हा का पूजा अर्चना में कुछ रह ना जाए। ये रही कृष्ण जन्मोत्सव की पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट…

कृष्ण जन्माष्टमी 2024 पूजा सामग्री
धूप बत्ती और अगरबत्ती, कुमकुम, अबीर, गुलाल, केसर, कपूर, रोली, सिंदूर, चंदन, यज्ञोपवीत 5, अक्षत, पान के पत्ते
सुपारी, पुष्पमाला, हल्दी, आभूषण, रुई, तुलसीमाला, कमलगट्टा, सप्तधान, गंगाजल, शहद, तुलसी दल, कुश व दूर्वा
पंच मेवा, शक्कर, गाय का घी, गाय का दही, गाय का दूध, ऋतुफल, छोटी इलायची, सिंहासन, झूला, आसन, मिष्ठान्न
बाल स्वरूप कृष्ण की प्रतिमा, भगवान के वस्त्र, केले के पत्ते, औषधि, पंचामृत, दीपक, नारियल, फूल, फल
मोर पंख, गाय बछड़े सहित, मुरली, माखन, मिसरी, खीरा

स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय 26 अगस्त को मनाएंगे जन्माष्टमी
स्मार्त व वैष्णव संप्रदाय द्वारा जन्माष्टमी पर्व को अलग-अलग दिन मनाते हैं लेकिन इस बार स्मार्त संप्रदाय और वैष्णव संप्रदाय की जन्माष्टमी एक ही दिन 26 अगस्त को मनाई जाएगी। स्मार्त संप्रदाय को मानने वाले भगवान विष्णु के अलावा भगवान शिव, भगवान गणेश, शक्ति व भगवान सूर्य के उपासक भी होते हैं और गृहस्थी होते हैं।

वैष्णव संप्रदाय इनके उपासक
वहीं, वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले सिर्फ भगवान विष्णु व उनके अवतारों भगवान राम, भगवान कृष्ण के ही उपासक होते हैं। आचार्य दीपक तेजस्वी ने बताया कि अष्टमी तिथि एक ही दिन होने पर पर्व एक दिन ही मनता है और अष्टमी 2 दिन होने पर यह 2 दिन मनाया जाता है। पहले दिन स्मार्त व दूसरे दिन वैष्णव सम्प्रदाय इस पर्व को मनाता है लेकिन इस बार ऐसी स्थिति नहीं है।

जन्माष्टमी पर इस बार बने रहे कृष्ण जन्म जैसे संयोग
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी और 27 अगस्त की सुबह 2 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। वहीं दही हांडी का पर्व 27 अगस्त दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। इस बार 26 सितंबर को सोमवार का दिन है। अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र भी है। यह संयोग भगवान कृष्ण के समय भी था। इस बार यह संयोग कई सालों बाद बन रहा है।

Share this Article
Leave a comment