मकर संक्रांति कल: जानें स्नान-दान मुहूर्त, महा पुण्य काल, सूर्य पूजा मंत्र, क्या करें दान

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नए साल में मकर संक्रांति का पावन पर्व 15 जनवरी को है. उस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है. मकर संक्रांति को खिचड़ी, उत्तरायण आदि नामों से भी जानते हैं. इस दिन स्नान करने के बाद दान देते हैं, खिचड़ी, तिलकुट, तिल के लड्डु आदि खाते हैं और दूसरों को मकर संक्रांति की बधाई देते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का बड़ा ही महत्व है, जिससे व्यक्ति पाप मुक्त होकर मोक्ष का भागी बन सकता है. इस बार मकर संक्रांति पर रवि योग बना है. रवि योग में सूर्य देव की पूजा करने से दोष नष्ट होते हैं और पुण्य फल प्राप्त होता है.
मकर संक्रांति 2024 के शुभ मुहूर्त कौन से हैं?
मकर संक्रांति का क्षण: 15 जनवरी, 02:54 एएम पर
महा पुण्य काल: सुबह 07:15 एएम से 09:00 एएम तक
पुण्य काल: सुबह 07:15 एएम से शाम 05:46 पीएम तक
मकर संक्रांति स्नान-दान का मुहूर्त: प्रात: 05:27 एएम से
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:09 पीएम से 12:51 पीएम तक
रवि योग: प्रात: 07:15 एएम से 08:07 एएम तक

मकर संक्रांति 2024 दिन का चौघड़िया मुहूर्त
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 07:15 एएम से 08:34 एएम
शुभ-उत्तम मुहूर्त: 09:53 एएम से 11:12 एएम
चर-सामान्य मुहूर्त: 01:49 पीएम से 03:08 पीएम
लाभ-उन्नति मुहूर्त: 03:08 पीएम से 04:27 पीएम
अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: 05:27 पीएम से 05:46 पीएम

मकर संक्रांति 2024 सूर्य पूजा मंत्र

  1. बीज मंत्र: ओम घृणि: सूर्याय नम:
  2. वैदिक मंत्र:
    ओम आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च।
    हिरण्ययेन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन।।
  3. ओम सूर्याय नमः

मकर संक्रांति 2024 दान की वस्तुएं
मकर संक्रांति पर स्नान के बाद काले तिल और गुड़ का दान करते हैं. इसके अलावा आप गेहूं, दाल, चावल, खिचड़ी, घी, गरम कपड़े, कंबल, तांबे के बर्तन आदि का भी दान कर सकते हैं. हालांकि मकर संक्रांति पर मुख्यत: खिचड़ी, तिल और गुड़, तिल के लड्डू का दान करते हैं.

मकर संक्रांति 2024 पूजा विधि

  1. मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह में नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान करें. गंगा स्नान करते हैं तो ज्यादा अच्छा रहेगा. गंगा स्नान न कर पाएं तो घर पर ही स्नान कर लें. पानी में गंगा जल और काले तिल मिला लें. फिर स्नान करें.
  2. 2. स्नान के बाद आपको लाल, नारंगी या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. उसके बाद पितरों को तर्पण दें. फिर सूर्य देव को जल, लाल फूल, लाल चंदन से अर्घ्य दें.
  3. 3. सूर्य अर्घ्य के बाद आपको सूर्य मंत्र का जाप और सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए. सूर्य देव की आरती के बाद दान करें. दान के पश्चात अपनी क्षमता अनुसार दक्षिणा दें.
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