एकादशी का व्रत हर महीने में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो सभी एकादशी की अधिक महत्व होता है। लेकिन, सावन के महीने में आने वाली एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सावन में आने वाली एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। कामिका एकादशी का व्रत सावन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। आइए जानते हैं कामिका एकादशी व्रत की तारीख, महत्व और पूजा का मुहूर्त।
कामिका एकादशी व्रत कब रखें
कामिका एकादशी तिथि का आरंभ 30 जुलाई को शाम में 4 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है और 31 जुलाई को शाम में 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में कामिका एकादशी का व्रत 31 जुलाई को रखा जाएगा। क्योंकि, शास्त्रों में उदय तिथि में व्रत करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति कामिका एकादशी का व्रत करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही इस व्रत को करने से व्यक्ति को भगवान विष्णु के साथ साथ भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। एकादशी के दिन दो समय पूजन करना चाहिए।
कामिका एकादशी पर ऐसे करें पूजा
कामिका एकादशी से ठीक एक दिन पहले व्यक्ति को चावल खाना बंद कर देना चाहिए। साथ ही कामिका एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि आप किसी पवित्र नहीं पर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करें। पूजा के लिए पीले रंग के आसन का ही इस्तेमाल करें। इसके बाद पूरे विधि विधान से पूजा करें। एकादशी कथा का पाठ भी करें और अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें। साथ ही व्रत के अगले दिन पारण के समय ब्राह्मण या किसी जरुरमंद को दान जरुर दें।