नई दिल्ली (deshabhi.com)। हजारों साल पहले तक दुनियाभर में अच्छी- खासी तादाद में टाइगर्स थे, जो जंगलों पर राज किया करते थे, लेकिन 21वीं सदी आते-आते इनकी संख्या बहुत तेजी से कम होने लगी। जिसके लिए अवैध शिकार तो एक बड़ी वजह थी ही, लेकिन साथ ही साथ जलवायु परिवर्तन और जंगलों के तेजी से कटान का भी बहुत बड़ा हाथ रहा। बाघ हमारे इकोसिस्टम को संतुलित रखने के बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं, इनकी कमी पर्यावरण को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा सकती है। इसी के बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 29 जुलाई को International Tiger Day मनाया जाता है।
बाघ दिवस क्यों मनाया जाता है इसके बारे में तो बात हो गई, लेकिन क्या आप बाघ, चीते, तेंदुए और शेर के बीच अंतर जानते हैं? देखने में ये सारे काफी हद तक एक जैसे ही लगते हैं, पर आकार, नेचर और शरीर पर मौजूद धारियां और धब्बे इन्हें एक-दूसरे से अलग बनाते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
ऐसे पहचानें टाइगर को
कई बार हम यह देखकर कंफ्यूज हो जाते हैं कि टाइगर कौन है और शेर या चीता कौन है। ऐसे पहचानें इनके बीच का फर्क।
टाइगर
बाघ के शरीर पर काली-काली धारियां होती हैं। जबकि तेंदुए और चीते के शरीर पर गोल-गोल धब्बे। खास बात यह है कि हर टाइगर के शरीर पर अलग-अलग तरह की धारियां होती हैं।
लेपर्ड
लेपर्ड यानी तेंदुए की चमड़ी पीली रंग की होती है और शरीर पर छोटे-छोटे काले धब्बे होते हैं। इनकी खूबी है कि ये पेड़ पर भी आसानी से चढ़ जाते हैं और पेड़ पर ही रहते हैं।
चीता
चीते देखने में काफी हद तक तेंदुए जैसे ही नजज आते हैं, लेकिन चीते की आंखों से मुंह तक काली गहरी लाइन होती है।
शेर
नर शेर की पहचान इनकी घनी दाढ़ी होती है। मादा शेर की दाढ़ी नहीं होती है। शेर की दहाड़ आप 8 किमी दूर से भी सुन सकते हैं।
टाइगर यानी बाघ जितना खूंखार उतना ही खूबसूरत जानवर भी है। टाइगर की 5 नस्लें (बंगाल टाइगर, इंडो-चाइनीज, साउथ चाइना, सुमात्रन और साइबेरियन) ही अब दुनिया में बचे हैं। अच्छी बात है कि भारत में दुनिया के तकरीबन 70 प्रतिशत टाइगर रहते हैं। शिकार के चलते इनकी संख्या दुनिया में काफी कम हो गई थी, लेकिन फिर से अब धीरे-धीरे बढ़ रही है।