Guru Purnima 2024 : गुरु पूर्णिमा व्रत 20 या 21 जुलाई ? जानें सही तारीख, महत्व और मुहूर्त

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गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन वेद व्यास जी की जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा पाठ और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही इस दिन अपने गुरुओं की पूजा करने का भी महत्व है। इस बार गुरु पूर्णिमा की तारीख को लेकर कंफ्यूजन बना हुआ है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा किस दिन मनाई जाएगी। साथ ही जानें मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।

कब है गुरु पूर्णिमा 2024 ?
दिवाकर पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत में 20 जुलाई को शाम में 6 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 3 बजकर 47 मिनट पर होगा। शास्त्रों विहित नियम के अनुसार, पूर्णिमा का व्रत चंद्रोदय व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को ही पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इसमें भी जिस दिन रात के समय पूर्णिमा तिथि रहती है उसी दौरान व्रत और पूजन किया जाता है। इसलिए 20 जुलाई को पूर्णिमा का व्रत किया जाएगा और 21 तारीख को गुरु का पूर्णिमा का दान पुण्य कार्य किया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
1) गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें।

2) पूजा घर की अच्छे से साफ सफाई करने के बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और वेद व्यास जी की प्रतिमा स्थापित करके उनको तिलक कर व्रत का संकल्प लें।

3) भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करने से पहले उनका पंचामृत से अभिषेक करें और उन्हें वस्त्र अर्पित करें। भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी और वेद व्यास जी का पूजन भी करें।

4) इसके बाद गुरु चालीसा का पाठ करें।

5) भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और वेद व्यास जी को मिठाई, फल और खीर आदि अर्पित करें। साथ ही गुरु पूर्णिमा व्रत कथा का पाठ करें।

6) अंत में भगवान सत्यनारायण की आरती जरुर करें।

गुरु पूर्णिमा का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार, गुरु पूर्णिमा का पर्व महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने चारों वेदों की रचना की थी। इस दिन गुरु अपने शिष्यों को दीक्षा भी देते हैं। इस दिन लोग अपने गुरुओं का पूजन करते हैं।

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