योगिनी एकादशी व्रत से लेकर जगन्नाथ रथ यात्रा तक, जानें इस हफ्ते के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में

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जुलाई का पहला सप्ताह व्रत त्योहार के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है। वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि से हो रही है। इस सप्ताह योगिनी एकादशी तिथि का व्रत किया जाएगा। योगिनी एकादशी के साथ इस सप्ताह बुध प्रदोष व्रत, मास शिवरात्रि व्रत, गुप्त नवरात्र प्रारंभ, राम बलराम रथोत्सव समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। साथ ही इस सप्ताह कृष्ण पक्ष का अंत हो जाएगा और शुक्ल पक्ष का प्रारंभ हो जाएगा। व्रत त्योहार के साथ इस सप्ताह शुक्र ग्रह कर्क राशि में गोचर करेंगे और इसी राशि में उदय भी हो जाएंगे, जिससे शुभ व मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे। आइए जानते हैं जुलाई मास के पहले सप्ताह के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में…


योगिनी एकादशी व्रत (2 जुलाई, मंगलवार)
आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण के स्वरूप का विशेष पूजन करके सुख-पत्ति प्राप्त की जा सकती है। भगवान कृष्ण ने एकादशी के बारे में कहा है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। साथ ही यह तिथि मनोकामना पूर्ण कराने वाली और मोक्ष देने वाली मानी गई है। इस दिन ही देवरहा बाबा की पुण्यतिथि भी है।

बुध प्रदोष व्रत (3 जुलाई, बुधवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर प्रदोष व्रत महीने में दो बार पड़ता है, लेकिन जब प्रदोष बुधवार को पड़ता है, तो उसे बुध प्रदोष कहते हैं। भगवान शिव को समर्पित इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनवांछित फलों की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से बौद्धिक विकास होता है और नौकरी व कारोबार में अच्छी उन्नति होती है। साथ ही कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है।

मास शिवरात्रि व्रत (4 जुलाई, गुरुवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी एवं चतुर्दशी तिथि की संधि को मास शिवरात्रि व्रत माना जाता है। इस दिन भोले बाबा की विशेष पूजा करके मनुष्य धन-धान्य, सुख-संपत्ति ऐश्वर्या आदि प्राप्त कर सकता है। साथ ही व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए।

स्नान दान श्राद्ध की अमावस्या (5 जुलाई, शुक्रवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर पितरों की मुक्ति के लिए अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या कहा जाता है इस दिन पितृ दोष से निवृत्ति के लिए पितृदोष पूजा, कालसर्प योग से निवृत्ति के लिए कालसर्प योग पूजा आदि करके हर प्रकार की सुख-सुविधा प्राप्त की जा सकती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और पितरों के नाम का तर्पण व श्राद्ध करने का विशेष महत्व है।

गुप्त नवरात्र प्रारंभ (6 जुलाई, शनिवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर वर्ष में चार नवरात्र होते हैं, जिसमें आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गुप्त नवरात्र प्रारंभ होता है। इस दिन से साधना की पूर्ति के लिए कामाख्या देवी की विशेष पूजा करते हैं। इस बार गुप्त नवरात्र 6 जुलाई से प्रारंभ हो रहे हैं और 15 जुलाई को इनका समापन होगा। गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट व परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

श्री राम बलराम रथोत्सव (7 जुलाई, रविवार)
हिंदू पंचांग के आधार पर इस दिन पूरे देश में बलराम का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन जगन्नाथ पुरी में बलराम की रथ यात्रा भी हर्षोल्लास से निकलती है। साथ ही भगवान मंदिर से बाहर निकलकर बाहर भ्रमण करते हुए अपने भक्तों से मिलते हैं और उनकी सभी परेशानियों को दूर करते हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी होती हैं। रथ यात्रा में शामिल होकर अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।

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