ज्येष्ठ अमावस्या पर करें ये उपाय, कष्ट होंगे दूर, पितृदोष से भी मिलेगी मुक्ति

admin
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सनातन धर्म में ज्येष्ठ का माह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने पढ़ने वाले सभी त्योहार इसके महत्व को बढ़ाते हैं. इस महीने वट सावित्री व्रत, शनि जयंती, गंगा दशहरा जैसे बड़े पर्व मनाये जाते हैं. इस महीने अमावस्या तिथि भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस बार ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 6 जून को मनाई जाएगी. मान्यता के मुताबिक इस दिन पवित्र नदियों में दान पुण्य के साथ पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है. इस तिथि पर पुण्य कार्य करने से परिवार में खुशियां बनी रहती हैं.

साल में 12 अमावस्या तिथि आती हैं. सभी अमावस्या तिथि का महत्व अलग-अलग होता है. इनमें ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योंकि इस बार की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती का पर्व भी मनाया जाएगा. इसके साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा. पौराणिक मान्यता के मुताबिक शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को हुआ था. इस दिन इनकी पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति भी होती है. इस दिन ज्योतिष शास्त्र द्वारा बताए गए कुछ खास कार्य करने से तरक्की में मिलती है. सभी तरह की बाधा दूर होती है.

ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 5 जून को रात्रि 7ः54 बजे से शुरू होकर 6 जून को शाम 6ः07 बजे पर समाप्त होगा. उदय तिथि के अनुसार 6 जून को अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा .इस दिन पवित्र नदी में स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 4ः02 से लेकर सुबह 7 मिनट तक है.

अमावस्या तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद इष्ट देवता की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए. ऐसा करने से रुका हुआ कार्य पूरा होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन तुलसी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियां दूर होती है. साथ ही इस दौरान शनिदेव की भी पूजा आराधना करने से जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. अगर आप ग्रह दोष से परेशान है तो इस दिन हनुमान जी की भी पूजा आराधना कर सकते हैं.

इस दिन करे इन मंत्रों का जप

पितृ गायत्री मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

पितृ दोष निवारण मंत्र

“ॐ श्रीं सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेशं हं हं सुख शांतिम् देहि फट् स्वाहा”।\”ॐ पितृभ्य देवताभ्य महायोगिभ्येच च, नमः स्वाहा स्वाध्याय च नित्यमेव नमः\”।

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