Breaking: साय केबिनेट की बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले, प्रदेश में नहीं खोली जाएगी कोई भी नई मदिरा दुकान

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की कैबिनेट की बैठक खत्म हो गयी है। आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में हर बुधवार को कैबिनेट की परंपरा शुरू की गयी है।

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छत्तीसगढ़ के षष्ठम् विधानसभा के द्वितीय सत्र फरवरी-मार्च 2024 हेतु राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2023-2024 का विधानसभा में उपस्थापन हेतु छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।बजट अनुमान वर्ष 2024-25 का विधानसभा में उपस्थापन के लिए छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2024-25 का अनुमोदन किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी नई मदिरा दुकान नहीं खोली जाएगी।छत्तीसगढ़ सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया है। इस संशोधन में ‘जिला न्यायाधीश‘ को ‘प्रधान जिला न्यायाधीश‘ और ‘अपर जिला न्यायाधीश‘ को ‘जिला न्यायाधीश‘ करने का प्रावधान रखा गया है। इसी तरह ‘व्यवहार न्यायाधीश प्रथम वर्ग‘ को ‘व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी‘ तथा ‘व्यवहार न्यायाधीश द्वितीय वर्ग‘ को ‘व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी‘ तथा ‘जिला न्यायालय‘ को ‘प्रधान जिला

विष्णु देव साय की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय महानदी भवन में मंत्रिपरिषद की बैठक आयोजित हुई।

बैठक में निम्न महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए –

छत्तीसगढ़ के षष्ठम् विधानसभा के द्वितीय सत्र फरवरी-मार्च 2024 हेतु राज्यपाल के अभिभाषण के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

तृतीय अनुपूरक अनुमान वर्ष 2023-2024 का विधानसभा में उपस्थापन हेतु छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

बजट अनुमान वर्ष 2024-25 का विधानसभा में उपस्थापन के लिए छत्तीसगढ़ विनियोग विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।

छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2024-25 का अनुमोदन किया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि कोई भी नई मदिरा दुकान नहीं खोली जाएगी।

छत्तीसगढ़ सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक-2024 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया है। इस संशोधन में ‘जिला न्यायाधीश‘ को ‘प्रधान जिला न्यायाधीश‘ और ‘अपर जिला न्यायाधीश‘ को ‘जिला न्यायाधीश‘ करने का प्रावधान रखा गया है। इसी तरह ‘व्यवहार न्यायाधीश प्रथम वर्ग‘ को ‘व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ श्रेणी‘ तथा ‘व्यवहार न्यायाधीश द्वितीय वर्ग‘ को ‘व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ श्रेणी‘ तथा ‘जिला न्यायालय‘ को ‘प्रधान जिला

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