रक्षाबंधन प्रेम, सुरक्षा और भाईचारे का त्योहार है. यह बहनों के लिए अपने भाइयों के प्रति अपना प्यार और चिंता व्यक्त करने का दिन है, और भाइयों के लिए अपनी बहनों की रक्षा करने का वादा करने का दिन है. यह त्यौहार परिवार और दोस्ती के बंधन को मजबूत करने का भी एक तरीका है. वही पंडित मदन कौशिक लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाया जाएगा. सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 19 अगस्त को सुबह 03:04 होगी और इस तिथि का समापन 19 अगस्त को मध्य रात 11:55 पर हो गया.
भगवान विष्णु से जुड़ी कहानी
वही रक्षाबंधन का महत्व बताते हुए कहा कि एक अन्य लोकप्रिय कथा राजा बलि और देवी लक्ष्मी की कहानी है. राजा बलि एक शक्तिशाली राक्षस राजा था. उसने तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी. हालाँकि, वह भी भगवान विष्णु का भक्त था. वह भगवान विष्णु से जो कुछ भी चाहता था, उसे देने का वादा किया था. भगवान विष्णु ने बाली से राज्य मांगा, लेकिन बाली ने इनकार कर दिया. तब भगवान विष्णु ने एक ब्राह्मण महिला का रूप धारण किया और राजा बलि के महल में गए. उन्होंने राजा बलि से भिक्षा मांगी और राजा बलि ने उन्हें अपना हाथ दे दिया. तब ब्राह्मण महिला ने राजा बलि की कलाई पर राखी बांधी और राजा बलि उनकी रक्षा करने के अपने वचन से बंध गए.
यह विश्वास और प्यार का त्योहार
रक्षाबंधन भाई-बहनों के अटूट संबंध का त्योहार है। ये त्योहार हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर राखी बांधकर उनकी रक्षा का वचन लेती हैं, साथ ही भाई अपनी बहनों की रक्षा और जीवनभर साथ देने का वचन देते हैं. रक्षा बंधन सिर्फ एक त्योहार मात्र नहीं है, ये भाइयों और बहनों के बीच के संबंध को मजबूत करने का एक बहुत खूबसूरत जरिया भी है. यह त्योहार केवल भाई-बहन के बीच का ही नहीं, बल्कि रिश्तेदारों, दोस्तों और समाज के लोगों के बीच भी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है.