साल आषाढ़ माह में ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से भव्य रथयात्रा निकाली जाती है. यात्रा की यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा भी शामिल होते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से होगी और इसका समापन 16 जुलाई को होगा. जगन्नाथ, जिसका अर्थ होता है, जग का स्वामी. हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ को श्रीहरि विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का ही एक रूप माना गया है. आइए जानते हैं जगन्नाथ प्रभु की इस यात्रा का महत्व और इतिहास के बारे में .
कब से शुरू होगी यात्रा
-वैदिक पंचांग के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा 07 जुलाई को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी.
-यह यात्रा सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक निकाली जाएगी.
-इसके बाद यात्रा दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से फिर से शुरू होगी.
-फिर यात्रा 01 बजकर 37 मिनट पर विश्राम लेगी.
-इसके बाद शाम 04 बजकर 39 मिनट से यात्रा शुरू होगी.
-अब यह यात्रा 06 बजकर 01 मिनट तक चलेगी.
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व और इतिहास
भगवान जगन्नाथ की यात्रा सदियों से चली आ रही है. ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 12वीं शताब्दी में हुई थी. एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपनी बहन सुभद्रा और बलराम जी को रथ पर बिठाकर रथ यात्रा निकाली थी. तभी से यह परंपरा शुरू हुई.
होती है मोक्ष की प्राप्ति
इस यात्रा में रथ के साथ भक्त ढोल बजाते हैं और मन्त्रों का उच्चारण करते रहते हैं. इस यात्रा को लेकर कहा जाता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं, उन्हें मरणोपरान्त मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस यात्रा में शामिल होने मात्र से ही व्यक्ति के अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.