इस्लामाबाद(deshabhi.com)। ईरान ने आतंकवादी समूह जैश अल-अदल के पाकिस्तान के अंदर स्थित ठिकानों पर मंगलवार को हमले किए। सरकारी समाचार एजेंसी ‘ईरना’ ने कहा कि हमले के लिए मिसाइल और ड्रोन का इस्तेमाल किया गया। पाकिस्तान ने तत्काल हमले की बात स्वीकार नहीं की है। जैश अल-अदल सुन्नी आतंकवादी समूह है जो मुख्यत: पाकिस्तान से अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है।
जैश अल-अदल एक सुन्नी आतंकवादी समूह है जो बड़े पैमाने पर परमाणु-सशस्त्र पाकिस्तान में सीमा पार संचालित होता है। हमलों की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है और गाजा में इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के व्यापक रूप से फैलने की आशंका है।
इराक और सीरिया में भी बरसाए बम
इससे पहले ईरान ने हालिया आतंकवादी हमले के विरोध के जवाब में क्रमश: सीरिया और इराक के कुर्दिस्तान क्षेत्र में ‘आतंकवादियों’ तथा इजरायल की खुफिया सेवा मोसाद के ठिकानों के खिलाफ बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया , जिसमें चार लोग मारे गये। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सिपाह न्यूज ने आज तड़के आईआरजीसी के जारी बयान के हवाले से बताया कि मध्यरात्रि में किया गया हमला इजराइल द्वारा ईरानी और प्रतिबंधित कमांडरों की हत्याओं के प्रतिशोध की कारर्वाई थी। यह हमला दक्षिणपूर्वी ईरानी प्रांत करमान, सिस्तान और बलूचिस्तान में हाल के ‘आतंकवादी हमलों’ की प्रतिक्रिया के रूप में भी था। इराक की राजधानी एरबिल पर आईआरजीसी द्वारा किए गए मिसाइल हमले में चार लोग मारे गए।
गौरतलब है कि तीन जनवरी को दो आतंकवादियों ने करमान में ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की कब्र के पास दो बम विस्फोट किए, जिसमें 90 से अधिक लोग मारे गये और 280 घायल हो गए। चार जनवरी को आईएस आतंकवादी समूह ने बम विस्फोटों की जिम्मेदारी ली।
इराक ने वापस बुलाया राजदूत
ईरान द्वारा उत्तरी इराक के इरबिल में गत रात किए गए हमले के विरोध में इराक ने मंगलवार को तेहरान में नियुक्त अपने राजदूत को सलाह-मशविरा के लिए वापस बुला लिया। इसके साथ ही इराक ने ईरान के दूतावास के प्रभारी को भी तलब किया। इराक के विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय के मुताबिक ईरान के इस हमले में कई लोगों की मौत हो गई। इराक के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ईरान का यह हमला ‘‘ इराक की संप्रभुत्ता का घोर उल्लंघन है और अच्छे पड़ोसी देश के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है और यह क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा है।”