दिल्ली (deshabhi.com)। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले ने पूरे देश में आक्रोश और चिंताओं को जन्म दिया है। इस घटना के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा और मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। सोमवार को इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई, जिसमें पश्चिम बंगाल की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने डॉक्टरों की हड़ताल के नतीजों पर प्रकाश डाला।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि अगस्त में कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में हुए ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले के बाद डॉक्टरों की हड़ताल के कारण लगभग 23 लोगों की मौत हो गई है। सिब्बल ने राज्य स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट को कोर्ट के सामने पेश किया, जिसमें यह उल्लेखित था कि हड़ताल के चलते मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सेवाएं नहीं मिल पाईं और इस कारण कई लोगों की जान चली गई।
सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले का संज्ञान लिया था और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कई सवाल पूछे। CJI चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। कपिल सिब्बल ने कोर्ट को सूचित किया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जांच की स्थिति की रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या कोलकाता पुलिस ने सुबह 8:30 बजे से रात 10:45 बजे तक की पूरी CCTV फुटेज प्रदान की है। सिब्बल ने इसका उत्तर हां में दिया। इसके बाद CJI ने सवाल किया कि CBI का कहना है कि उन्हें सिर्फ 27 मिनट का वीडियो मिला है। सिब्बल ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि 8:30 से 10:45 तक के सबूतों के कुछ हिस्से ही सौंपे गए हैं और कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण पूरी फुटेज उपलब्ध नहीं हो पाई।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में समय का उल्लेख नहीं था और वीडियोग्राफी की जानकारी भी स्पष्ट नहीं थी। कोर्ट ने सीबीआई से आदेश दिया कि 16 सितंबर तक एक नई स्टेटस रिपोर्ट जमा की जाए, ताकि अगली सुनवाई 17 सितंबर को हो सके।
सामाजिक और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा प्रभाव
डॉक्टरों की हड़ताल और इसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतें, अस्पतालों में जारी समस्याओं और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर एक गंभीर संकेत देती हैं। यह मामला न केवल कानून और न्याय की प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति समाज की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।