आज इस साल की अंतिम संकष्टी चतुर्थी है. इसे अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. उस दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि, अश्लेषा नक्षत्र, विष्कुम्भ योग, बव करण, शनिवार दिन और पूर्व दिशाशूल है. अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं और विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करते हैं. गणपति बप्पा की पूजा दोपहर तक कर लेते हैं. फिर रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और पूजा करते हैं. उसके बाद ही पारण करके व्रत को पूरा किया जा सकता है. शनिवार का दिन कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा के लिए है. शनिदेव की पूजा करने से दुख दूर होते हैं. अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन भद्रा लग रही है, जिसका वास पृथ्वी लोक पर ही है. भद्रा का समय सुबह 07:13 एएम से 09:43 एएम तक है.
० अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की पूजा के समय गणेश जी को लाल पुष्प या गेंदे का फूल, लाल वस्त्र, सिंदूर, चंदन, अक्षत्, दूर्वा, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं. गणपति बप्पा को मोदक और लड्डू पसंद हैं.
० उनको इनका भोग लगाएं. फिर प्रसाद वितरण करें. दिनभर फलाहार पर रहें और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पारण करें. पूजा के समापन के बाद गणेश जी से मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें.
० शनिवार के दिन शमी के पेड़ की पूजा करें. उसकी जड़ पर जल चढ़ाएं और शाम के समय उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. शनि देव को शमी के पुष्प, नीले फूल, काला तिल, सरसों का तेल आदि अर्पित करें. इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं.
० शनिवार को शनि मंदिर जाकर छाया दान करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्ट कम होते हैं. शनिवार को गरीबों को काला कंबल, गरम वस्त्र, छाता, जूते, चप्पल, भोजन, दवा आदि का दान करना चाहिए. पंचांग से जानते हैं सूर्योदय, चंद्रोदय, शुभ मुहूर्त, भद्रा समय, दिशाशूल, राहुकाल आदि.
30 दिसंबर 2023 का पंचांग
आज की तिथि- पौष कृष्ण चतुर्थी
आज नक्षत्र – अश्लेषा
आज का करण – बव
आज का पक्ष – कृष्ण पक्ष
आज का योग- विष्कुम्भ, कल 02:42:25 एएम तक
आज का दिन- शनिवार
चंद्र राशि – कर्क
ऋतु – हेमंत