हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इस बैंगन षष्ठी नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ उनके बड़े पुत्र कार्तिकेय भगवान की पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा-पाठ करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
महाराष्ट्र में भगवान खंडोबा की पूजा का विशेष महत्व है। चंपा षष्ठी के दिन भगवान खंडोबा की विशेष पूजा की जाती है और इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जानिए चंपा षष्ठी का शुभ मुहूर्त और महत्व।
चंपा षष्ठी व्रत योग
चंपा षष्ठी के दिन ध्रुव, रवि और द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन ध्रुव योग दोपहर 2 बजकर 53 मिनट रहेगा और रवि योग सुबह 6 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। फिर अगले दिन सुबह 11 बजकर 04 मिनट से शाम 6 बजकर 06 मिनट तक द्विपुष्कर योग रहेगा। पंचांग के अनुसार पूजा के लिए सुबह 06 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 05 बजे तक सबसे शुभ रहेगा।
चंपा षष्ठी व्रत का महत्व
शास्त्रों में बताया गया है कि चंपा षष्ठी के दिन भगवान शिव की उपासना करने से अज्ञानतावश हुए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भक्तों को धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि इस दी पूजा-पाठ करने से और व्रत रखने मोक्ष की प्राप्ति होती है व पूर्व जन्म के पाप भी धुल जाते हैं।