जानिए गणेश विसर्जन के पीछे की पौराणिक कथा
ADMIN (Deshabhi.com).
देशभर में बीते 19 सितंबर से शुरू हुआ गणेशोत्सव का त्योहार अंतत: 28 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ ही इस वर्ष के लिए खत्म हो गया. हालांकि कुछ जगहों पर लोग गणेश चतुर्थी के दिन अपने घरों में गणपति बप्पा को विराजित कर अपनी श्रद्धा के अनुसार डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन या 10 दिनों के लिए घर में गणेश जी की स्थापना करते हैं. इसके बाद धूमधान से गणपति का विसर्जन किया जाता है. वैसे अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन की मान्यता अधिक है.
देवों में प्रथम पूज्य भगवान गणेश की स्थापना के साथ विसर्जन को लेकर अनेक किवदंती और पौराणिक कथाएं हैं. उन्हीं में से कुछ पर आज इस आर्टिकल में बात करेंगे..
कुछ ऐसी हैं पौराणिक मान्याताएँ
मान्यता के अनुसार, भगवान गणपति को अनंत चतुर्दशी के दिन जल में विसर्जित कर दिया जाता है क्योंकि गणपति जल तत्व के अधिपति माने जाते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी भगवान गणेश को कथा सुनाते थे और गणेश जी उन्हें लिपिबद्ध करते थे. एक बार महर्षि वेदव्यास जी ने कथा सुनाते-सुनाते अपनी आंखें बंद कर लीं और वह 10 दिनों तक कथा सुनाते रहे, इधर गणेश जी कथा को लिखते गए. वहीं जब 10वें दिन वेदव्यास जी ने अपनी आँखें खोलीं तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था. वेदव्यास जी ने गणपति के शरीर को ठंडा करने के लिए उन्हें जल में डुबो दिया. इससे उनके शरीर को शीतलता मिली. तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि गणेश भगवान को शीतल करने के लिए गणेश विसर्जन किया जाता है.
वहीं एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक दक्षिण में अपने भाई कार्तिकेय के यहाँ भगवान गणेश जी की कुछ दिनों के लिए रहने गए. इस दौरान भगवान गणेश ने वहाँ पर सबका मन मोह लिया. 10 दिनों बाद जब भगवान गणेश अपने धाम को विदा हुए तो भगवान कार्तिकेय समेत सभी लोग काफी भावुक हो गए. इसके साथ ही गणपति को अगले वर्ष पुन: पधारने का न्योता दिया. बताया जाता है तभी से गणेश विसर्जन का पर्व मनाया जाने लगा. गणेश विसर्जन के दिन भगवान गणपति से प्रार्थना की जाती है कि वह अगले वर्ष सुख-समृद्धि और खुशियों के साथ वह फिर भक्तों के घर पधारें.